कोविड – 19 लोकडाउन के दौरान मछली पालनकारों को फोन / ई- मेल /वाट्स एप में मार्गदर्शन
प्रदान करने के लिए उपलब्ध वैज्ञानिक।
क्र. सं./ Sl.No |
नाम |
पदनाम |
विषय |
मोबाइल सं. |
ई- मेल |
1 |
डॉ. विनोद के. |
प्रधान वैज्ञानिक
|
पारितंत्र
स्वास्थ्य / जैवविविधता परिरक्षण / |
9496475596 |
|
2 |
डॉ. शिल्टा एम.
टी. |
वैज्ञानिक |
पिंजरा मछली पालन
|
8075389216 |
|
3 |
डॉ. पी. के.
अशोकन |
प्रधान वैज्ञानिक
|
द्विकपाटी पालन |
9447137278 |
|
4 |
डॉ. रितेश रंजन |
वैज्ञानिक |
समुद्री संवर्धन |
9494436445 |
|
5 |
डॉ. संतोष बी. |
प्रधान वैज्ञानिक
|
समुद्री संवर्धन |
9446572288 |
|
6 |
श्री अंबरीश |
वैज्ञानिक |
समुद्री संवर्धन |
9847553047 |
|
7 |
डॉ. रंगराजन
जयकुमार / |
प्रधान वैज्ञानिक |
समुद्री मछली
पालन |
9489036516 |
|
8 |
डॉ. के. के.
अनिकुट्टन |
वैज्ञानिक |
समुद्री मछली
पालन |
9751865267 |
|
9 |
डॉ. जी. तमिलमणी |
वरिष्ठ वैज्ञानिक |
समुद्री मछली
प्रजनन |
9486221352 |
|
10 |
डॉ. एम. शक्तिवेल |
वरिष्ठ वैज्ञानिक |
समुद्री पिंजरा
मछली पालन |
9488266503 |
|
11 |
डॉ. पी. रमेश
कुमार |
वैज्ञानिक |
मछली स्वास्थ्य |
9659384485 |
|
12 |
डॉ. षिनोज
सुब्रह्मण्यन |
वरिष्ठ वैज्ञानिक
/ प्रभारी वैज्ञानिक, सी एम एफ आर आइ कृषि विज्ञान केंद्र , एरणाकुलम |
सी एम एफ आर आइ
कृषि विज्ञान केंद्र , एरणाकुलम |
9496303457 |
|
13 |
डॉ. विकास पी. ए. |
विषय विशेषज्ञ,
सी एम एफ आर आइ कृषि विज्ञान केंद्र , एरणाकुलम |
मात्स्यिकी |
9447993980 |
भा कृ अनु प – सी
एम एफ आर आइ द्वारा कोविड – 19 हॉटस्पॉटों के मत्स्यन अवतरण केन्द्रों के आसपास के क्षेत्रों
के लिए जी आइ एस आधारित जानकारी
ICAR-CMFRI launches GIS based info of
vicinity of fish landing centres to COVID-19 hotspots
भा कृ अनु प –
केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सी एम एफ आर आइ) द्वारा विविध
समुद्रवर्ती राज्यों के समुद्री मछली अवतरण केन्द्रों के आसपास के कोविड – 19 हॉटस्पॉटों की जी आइ एस आधारित आनलाइन जानकारी देने के लिए नए पहल की शुरुआत की. आनलाइन जी आइ एस आधारित
डेटाबेस केरल, आन्ध्रा प्रदेश एवं कर्नाटक
के समुद्री मछली अवतरण केन्द्रों के आसपास के कोविड – 19 हॉटस्पॉटों को चित्रित करता है जो देश के विविध
मत्स्यन अवतरण केन्द्रों की गतिविधियों को दैनिक आधार पर निगरानी करने में
महत्वपूर्ण होगी. डेटाबेस के आधार पर अन्य समुद्रवर्ती राज्यों के अवतरण केन्द्रों
से संबंधित सूचना सम्मिलित करने का कार्य
चालू है. सरकार द्वारा पहचाने गए तटीय जिलों के अंतर्गत कोविड – 19 के नियंत्रण क्षेत्रों / हॉटस्पॉटों की भौगोलिक निकटता के अनुसार विविध
राज्यों के समुद्री मत्स्यन अवतरण केन्द्रों का दृश्य विविध रंग ग्रुपों में
डेटाबेस प्रदान करता है. हॉटस्पॉटों से दूरी के अनुसार अवतरण केन्द्रों को
वर्गीकृत किया गया एवं संबंधित राज्य सरकारों से प्राप्त सूचना के अनुसार दैनिक
आधार पर अपडेट किया जाता है. प्रथम श्रेणी में हॉटस्पॉट से 3 कि. मी. की दूरी में स्थित मछली अवतरण केन्द्रों में
निवारक उपायों को प्रमुखता देने की आवश्यकता होती है. दूसरी श्रेणी में हॉटस्पॉट के 3 कि. मी. से 5 कि. मी. की दूरी
में स्थित अवतरण केंद्र आते हैं जबकि तीसरी श्रेणी में हॉटस्पॉट के 5 कि. मी. से 10 कि. मी. की दूरी में स्थित अवतरण केंद्र शामिल है.
पहल की व्यावहारिक उपयोगिता : जी आइ एस आधारित
डेटाबेस अधिकारियों एवं नीति निर्माताओं को दैनिक गतिविधियों की निगरानी एवं
उन्हें मछली अवतरण केंद्रों में सुरक्षा उपायों और मत्स्यन पोताश्रयों में जहां
सुरक्षा उपायों की छूट दी जा सकती है, के सम्बन्ध में आसानी से समझने के लिए
सहायता देती है. यह भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ की वेबसाईट www.cmfri.org.in. में
प्रकाशित इन्फोग्राफिक्स के सहारे पहचाना जा सकता है. इस समाचार को तुरंत
अंतर्राष्ट्रीय तौर पर ध्यान प्राप्त हुआ और इसको अंतर्राष्ट्रीय समुद्री खाद्य
समाचार (https://www.seafoodsource.com/news/food-safety-health/online-directory-of-india-s-fish-landing-centers-proximity-to-covid-19-hotspots-published).के सबसे अधिक विश्वसनीय साइट SeafoodSource.com द्वारा उद्धृत किया था.
भा कृ अनु प – सी
एम एफ आर आइ द्वारा विषैले कांटे एवं रंग बदलने की क्षमता से युक्त अपूर्व स्कोरपियोन
मछली की प्राप्ति
समुद्री जीवन चाहने वालों को उत्साहित करने के लिए एक प्रमुख विकास के रूप में
भा कृ अनु प – केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सी एम एफ आर आइ)
द्वारा पहली बार भारतीय समुद्र से जीवित अपूर्व मछली पायी जो रंग बदलती है और
रीढ़ों में न्यूरोटोकसिक विष का वहन करती है. समुद्री घास मैदान में छद्मावरण से
युक्त बैंड टेइल स्कोरपियोन (स्कोरपनियोप्सिस नेग्लेक्टा) को मन्नार खाड़ी के
सेतुकरी तट के पास भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ के वैज्ञानिकों द्वारा क्षेत्र के
समुद्री घास पारितंत्र पर किए गए अन्वेषणात्मक सर्वेक्षण के दौरान पाया गया.
रंग बदलने की क्षमता
इस अपूर्व मछली
की अनेक विशेषताएं हैं जिनकी ओर समुद्री उत्साहियों का ध्यान आकर्षित किया जा सकता
है. इसको रंग बदलने एवं शिकारियों से बचने और शिकार करते समय अपने आसपास के
वातावरण के साथ मेल करने की क्षमता है. अन्तर्जलीय सर्वेक्षण के दौरान इन
प्रजातियों को पहली बार प्रवाल कंकाल के रूप में देखा गया था. प्रथम दृष्टि में इसका
रूप पूरी तरह भ्रामक था और अनुसंधानकारों को यह संदेह हुआ कि यह मछली है या द्विकपाटी
कवचों से ढके हुए प्रवाल कंकाल जीवाश्म का है. मृत प्रवाल के टुकुडों को छूने के
क्षण से इसका रंग बदलने लगा. चार सेकण्ड के अन्दर यह पायी गयी कि मछली की त्वचा
सफेद से विचित्र काले रंग में बदल गयी. भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ के वरिष्ठ वैज्ञानिक
डॉ. आर. जयभास्करन ने अनुसंधानकारों के टीम का नेतृत्व किया. ज़िप – लोक पोलिएथिलीन
बैग के उपयोग से हाथ द्वारा पकड़ने के तुरंत बाद अंस पंखों को चमकता हुआ देखा और इन
पंखों के भीतर की ओर काले बैंड मार्जिन के साथ चमकीले पीले रंग का प्रदर्शन पूर्ण
दृश्य में आया. इस मछली को ‘स्कोर्पियोन फिश’
इसलिए कहा जाता है कि इसके रीढ़ों में न्यूरोटोक्सिक विष निहित है. अगर किसी व्यक्ति में ये रीढ़ें प्रवेश
करते है तो विष इंजेक्ट होता है और अत्यंत दर्दनाक हो सकता है. इस मछली को खाने से
मृत्यु तक हो सकती है.
प्रकाश की गति
रात्रिचर परजीवी बैंड टेइल स्कोरपियोन मछली समुद्री
तल में गतिहीन रहती है और शिकार अपने पास
आने की प्रतीक्षा करती है. उनमें से ज़्यादातर रात के समय प्रकाश की गति से अपने
शिकार को हमला करने और चूसने की क्षमता के साथ खाना खाते हैं. अत्यधिक शक्तिशाली
संवेदन तंत्र प्रणाली होने के कारण इस मछली को अँधेरे वातावरण में 10 से. मी. की दूरी पर केकडों
द्वारा उत्पादित श्वसन वायु संचार प्रवाहों को पता लगा सकता है. अन्य मछलियों के
विपरीत बैंड टेइल स्कोरपियोन मछली शिकार करने के लिए आँखों के बजाय अपने पार्श्व
संवेदन प्रणाली का उपयोग करती है. यह मछली ज़्यादातर गोबी एवं ब्लेन्नी जैसी छोटी
नितलस्थ मछलियों, क्रस्टेशियनों एवं अन्य नितलस्थ स्थूल अकेशरुकियों को आहार के
रूप में खाते हैं. भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ के राष्ट्रीय समुद्री जैवविविधता
संग्रहालय में यह नमूना रखा गया है. जर्नल करंट साइंस के नवीनतम अंक में यह
अनुसंधान कार्य प्रकाशित किया गया है.
टी एस पी
परियोजना के अधीन जनजातियों को पिंजरे में पालित पर्ल स्पॉट मछली की बंपर पकड़
भा कृ अनु प – केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सी एम एफ आर
आइ) के मार्गनिर्देश में केरल में एरणाकुलम के नोर्त परवूर के पास जनजाति समुदाय
के उल्लाडन जनजाति के मछली पालनकार ग्रुप द्वारा पिंजरे में पालित पर्ल स्पॉट मछली
की बंपर पकड़ हुई. नोर्त परवूर में एज़िक्करा पंचायत के कल्लूचिरा, पेरुमपड़न्ना में दिनांक 2 जून 2020 को संग्रहण मेला आयोजित किया गया.
कोविड–19 प्रेरित लोक डाउन के कारण आर्थिक रूप
से बिगड़े हुए जनजाति समुदाय को एक वास्तविक आजीविका विकल्प के रूप में पिंजरे में
पालित मछली और संग्रहण एक बहुत बड़ा सहारा बन गया. जब लोकडाउन के दौरान मछली की कमी
से बाज़ार में पिंजरे में पालित मछली की भारी मांग थी तब मछली पालनकार मछली का
संग्रहण कर सके. संग्रहित मछली का आकार 250 से 450 ग्रा. तक था और मछलियां 500 रु. प्रति कि. ग्रा. की दर पर बेची गयीं. संभरित 2000 बीजों में से 80% की अतिजीवितता पायी गयी. संग्रहण मेला के दौरान औपचारिक रूप से श्रीमती चंद्रिका पी.,पूर्व पंचायत अध्यक्ष, एज़िक्करा द्वारा
भागिक मछली संग्रहण का उद्घाटन किया गया. मछली पालनकारों ने 150 कि. ग्रा. पर्ल स्पोट मछली (करिमीन) विपणन से 75,000 रु कमाए. श्रीमती इंदिरा उण्णी, अंगनवाडी
अध्यापिका, एज़िक्करा पंचायत को प्रथम विपणन प्रदान किया गया.
‘स्टार फिश’ नामक के 5 सदस्यों वाले स्वयं सहायक ग्रुप द्वारा पिंजरे का अनुरक्षण किया गया. भा कृ अनु प- सी एम एफ आर आइ के जनजातीय उप योजना (टी एस पी) परियोजना के अंतर्गत 8 महीनों की अवधि तक परिचालित मछली पालन का मार्गदर्शन डॉ. के मधु, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष टी एस पी, डॉ रमा मधु, प्रधान वैज्ञानिक एवं श्री राजेश, वैज्ञानिक, समुद्री संवर्धन प्रभाग, भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ द्वारा किया गया. मछली पालनकारों को 4x 4 मी.2 पिंजरा एवं लंगर लगाने एवं उत्प्लवन के लिए सभी सामान, आतंरिक एवं बाहरी जाल के दो सेट, 2000 पर्ल स्पॉट (ई. सुराटेंसिस) बीज एवं पूरे संवर्धन काल के लिए खाद्य संस्थान द्वारा प्रदान किए गए. मछली पालनकारों को पानी में काम करने के लिए सुरक्षा उपाय के रूप में लाइफ जैकट एवं लाइफ बॉय भी प्रदान किये गए. पिंजरा मछली पालन के लिए सभी सामग्रियां मुफ्त में दी गयीं. मछली पालनकारों को प्रशिक्षण देने के बाद संवर्धन की शुरुआत हुई और सी एम एफ आर आइ विशेषज्ञों ने पालन गतिविधि की निगरानी की ताकि मछली की वृद्धि एवं उचित स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सका.
केंद्र एवं
राज्य सरकार के मार्गनिर्देशों के अनुसार कोविड – 19 का सख्त अनुपालन करते हुए
आयोजित संग्रहण मेला में श्रीमती रेजी भार्गवन, जनजाति ऊरू मूपत्ति, एज़िक्करा पंचायत,सचिव, स्टारफिश स्वयं सहायक, ग्रुप अध्यक्ष, श्रीमती षीजा षाजी, स्टारफिश ग्रुप अध्यक्ष एवं मछली पालनकार भी उपस्थित थे. इस अवसर पर श्री
विजयन एम. टी., वरिष्ठ तकनीशियन, श्री मोहनदास, वरिष्ठ तकनीशियन एवं श्री सिबी टी. बेबी, समुद्री संवर्धन प्रभाग के वै पी – II, भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ, कोच्ची
भी उपस्थित थे.
जनजातीय (एस टी) समुदाय के सतत
समाज – आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए पिंजरा मछली पालन जैसे प्रमाणित
प्रौद्योगिकियों को लागू करने के ज़रिए वित्तीय सहायता के मार्ग पर ध्यान केन्द्रित
करना टी एस पी का मुख्य उद्देश्य है. भारत सरकार द्वारा स्वीकृत जनजातीय उप योजना
परियोजना / योजना के अंतर्गत विविध तटीय
राज्यों में स्थित सी एम एफ आर आइ के केन्द्रों द्वारा देश के विविध भागों में किए
जा रहे पिंजरा मछली पालन की पहल को बड़ी
सफलता मिली है. पिंजरा मछली पालन प्रौद्योगिकी को अनुसूचित जनजातियों के विकास की
गति में तेजी लाने और समाज के उन्नत वर्गों की तुलना में एस टी के बीच
सामाजिक-आर्थिक विकास सूचकों का पुल बांधने की क्षमता है.
भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ द्वारा समुद्री पर्यावरण में
प्रवासी प्रजातियों के परिरक्षण हेतु जागरूकता कार्यक्रम
भा
कृ अनु प – केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सी एम एफ आर आइ)
समुद्री पर्यावरण में जंगली जंतुओं की प्रवासी प्रजातियों के परिरक्षण हेतु
जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ाने के पहल में शामिल हो गया है.
भारत के मत्स्यन समुदायों की सहभागिता से समुद्री जंतुओं के परिरक्षण के लिए
एक मुख्य प्रयास के रूप में संस्थान ने भारत के गांधिनगर, गुजरात में दिनांक 17 से 22 फरवरी 2020 तक आयोजित सी एम एस सी ओ पी 13 (13वें संयुक्त राष्ट्र प्रवासी प्रजाति संरक्षण
सम्मलेन) के दौरान ‘समुद्री जंतु का परिरक्षण कार्यक्रम: भारत में समुद्री कच्छप, व्हेल शार्क, हंपबैक व्हेल एवं
ड्युगोंग’ शीर्षक अतिरिक्त कार्यक्रम के आयोजन में सहयोगी की मुख्य भूमिका निभाई.
सी एम एस सी ओ पी 13 वर्ष 2020 में प्रकृति से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय बैठकों की प्रथम श्रेणी में थी, जो वर्षांत में आयोजित यु एन जैवविविधता सम्मलेन में समाप्त हो जाएगी. भारत में सी एम एस सी ओ पी 13 का विषय “प्रवासी प्रजातियां ग्रह से जोड़ती है और हम उनका घर में स्वागत करते हैं” था. भारत में तटीय एवं समुद्री जैवविविधता के टिकाऊ प्रबंधन के लिए भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ को मुख्य सहयोगी के रूप में अपनाया गया है. प्रवासी प्रजातियों के परिरक्षण में जनता की जागरूकता जगाने के भाग के रूप में, कार्यक्रम के दौरान भा कृ अनु प- सी एम एफ आर आइ के लोगो के साथ एक विशेष पोस्टल स्टाम्प का विमोचन किया गया. स्टाम्प प्रवासी प्रजातियों की परिरक्षण के लिए जागरूकता का सन्देश दर्शाता है. स्टाम्प सम्मेलन की कवरेज भी करता है, जो दुनिया भर में प्रवासी प्रजातियों द्वारा सामना कर रहे परिरक्षण की आवश्यकताओं एवं खतरों को दूर करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों और निर्णयों को अपनाने के साथ संपन्न हुआ. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 19 फरवरी 2020 को आयोजित अतिरित कार्यक्रम में डब्ल्यु आइ आइ, सी एम एफ आर आइ और डब्ल्यु टी आइ भी सहित सहयोगी थे जहां डॉ. ताराचंद कुमावत, भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ वेरावल क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिक संस्थान का प्रतिनिधि था.
भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ द्वारा तमिल नाडु के जनजातीय
परिवारों को समुद्री शैवाल पालन एवं अलंकारी मछली पालन के ज़रिए अतिरिक्त आय कमाने
के लिए सहायता
भा कृ अनु प – केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सी एम एफ आर
आइ) ने तमिल नाडु जिले के रामनाथपुरम जिले के तोंडी तिरुवडानी तालुक के पुतुकुडी
गाँव के जनजाति परिवारों को समुद्री शैवाल एवं अलंकारी मछली पालन के ज़रिए सशक्त
बनाने हेतु भारत सरकार की जनजातीय उप योजना परियोजना (एस सी एस पी) का सफलतापूर्वक
कार्यान्वयन किया गया. इस सफल काहानी में भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ के मंडपम
क्षेत्रीय केंद्र ने पहले से ही इन ग्रामीणों को समुद्री शैवाल के पैदावार के
माध्यम से साल भर में 96,000 रुपये की अतिरिक्त आय
अर्जित करने में सक्षम बनाया है, जो माननीय
प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा तटीय समुदाय की कुशलता के लिए उच्च वांछित
पालन कार्यप्रणाली है और संस्थान का प्रयास समुद्री संवर्धन के अन्य रूप जैसे
समुद्री अलंकारी मछली बीज पालन के ज़रिए लाभ प्रदान करने में सहायता देना है.
समुद्री शैवाल पैदावार
समुद्री तट के पास, पुतुकुडी गाँव के कुल जनसंख्या का 97% जनजाति परिवार (कडियार समुदाय) हैं और उनमें से अधिकांश पाक खाड़ी में मत्स्यन में शामिल हैं. भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ ने एस सी एस पी के ज़रिए गाँववालों को सशक्त बनाने के पहल के रूप में सितंबर 2019 को विविध आजीविका के लिए समुद्री संवर्धन प्रौद्योगिकियों पर जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया. संस्थान के एस सी एस पी घटक, समुद्री संवर्धन एवं एन आइ सी आर ए परियोजनाओं के अंतर्गत कापाफाइकस अलवरेज़ी के समुद्री शैवाल पैदावार के लिए 10 ग्रुपों में कुल 28 मछुआरों को चुना गया. पुतुकुडी तटीय क्षेत्र कम लहर, कम गहराई एवं कम प्लवकभोजी मछलियों से युक्त हैं जिनके कारण मोनोलाइन समुद्री शैवाल तरीके के लिए उचित है. प्रत्येक मछुआरे के लिए 20 मोनोलाइन यूनिटें दिए गए हैं. एक मोनोलाइन यूनिट बनाने की दर.1,600 रु. है. कुल 575 मोनोलाइन यूनिटें परियोजनाओं के एस सी एस पी घटकों के अंतर्गत बनाये गये. 20 मोनोलाइन यूनिटों सहित कापाफैकस अल्वरेज़ी का समुद्री शैवाल पालन नवंबर, 2019 महीने के दूसरे सप्ताह में आरम्भ किया गया. तीन चक्रों से समुद्री शैवाल का कुल उत्पादन करीब 90 टन था.
समुद्री अलंकारी मछली पालन
समुद्री संवर्धन में ए आइ एन पी और संस्थान के एस सी एस पी घटक के अंतर्गत समुद्री अलंकारी मछली बीज पालन करने के लिए 6 ग्रुपों में कुल 18 मछुआरिनों को चुना गया. भा कृ अनु प- सी एम एफ आर आइ के मंडपम क्षेत्रीय केंद्र में सभी सामानों सहित छह शेडों (प्रत्येक 216 वर्ग फीट क्षेत्र) को स्थापित किया गया है. प्रारम्भ में दिनांक 3 जून 2020 को पुतुकुडी गाँव में डॉ. आर. जयकुमार, प्रभारी वैज्ञानिक, मंडपम क्षेत्रीय केंद्र वैज्ञानिकों एवं मछुआरों की उपस्थिति में श्री के. मुरलीधरन, सदस्य, भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ की संस्थान प्रबंधन समिति द्वारा साधिकार किया गया. भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ के मंडपम क्षेत्रीय केंद्र द्वारा प्रत्येक ग्रुप को 3 विविध प्रकार की 600 क्लाउन मछलियाँ (2 से. मी. आकार के कुल 1,200 क्लाउन मछलियां) प्रदान की गयीं. 30-45 दिनों के पालन के बाद एस एच जी मछलियां बेचने के लिए सक्षम होंगे. प्रत्येक ग्रुप करीब 30,000/-रु. प्रति महीने कमा सकता है.
भा कृ अनु प – सी एम एफ आर आइ में खाद्य सुरक्षा के लिए खेती के नए कदम की
शुरुआत
भा कृ अनु प – केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सी एम एफ आर आइ) में एरणाकुलम कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से सरकारी संगठनों में खाद्य सुरक्षा के नए कदम के रूप में खेती की शुरुआत की गयी. इस पहल में कोचीन नगर में स्थित आवास समुच्चय परिसर के करीब 3 एकड़ बंजर भूमि में सब्जियों के साथ कंदों और दलहनों की खेती शामिल है. कोविड – 19 महामारी के कारण केरल में खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता की तत्काल आवश्यकता पर चर्चा के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर शुरू हुआ यह अभियान महत्वपूर्ण माना जाता है.