भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद
केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान
  • भारत की अनन्‍य आर्थिक मेखला में मछली उत्‍पादन का परिवीक्षण
  • लघु पैमाने की मात्स्यिकी का निर्धारण
  • बदलते पर्यावरण के अनुसार समुद्री मात्स्यिकी
  • समुद्री पिंजरे में मछली पालन के लिए प्रौद्योगिकियॉं
  • पखमछली का प्रजनन और स्‍फुटनशाला में उत्‍पादन की प्रौद्योगिकियॉं
  • द्विकपाटी पालन की प्रौद्योगिकियों का विकास एवं प्रचार
  • मात्स्यिकी के संघातों पर अध्‍ययन
  • समुद्री जैवविविधता का निर्धारण

केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान में आप का स्वागत है

केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान भारत सरकार द्वारा कृषि मंत्रालय के अधीन 3 फरवरी, 1947 को स्थापित किया गया है और बाद में वर्ष 1967 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीनस्थ कार्यरत है. इन 65 वर्षों के कार्यकाल के दौरान विश्व में उष्णतकटिबंधीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान का उद्गम हुआ.

सी एम एफ आर आइ की स्थापना के प्रारंभ से लेकर इसके आकार और कद में उल्लेखनीय विकास हुआ, पर्याप्त अनुसंधान अवसंरचनाओं का विकास और योग्य कार्मिकों की भर्ती की गयी. लगभग पांच दशकों के पहले हिस्से के दौरान सी एम एफ आर आइ ने समुद्री मात्स्यिकी अवतरण के आकलन, समुद्री जीवों के वर्गिकीविज्ञान एवं पखमछली तथा कवच मछली के विदोहन किए गए प्रभव की जैव-आर्थिक विशेषताओं के अनुसंधान में अपना योगदान किया.

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