भारत की 6100 कि.मी. की लंबाई की तटरेखा के 1511 अवतरण केन्द्रों पर असंख्य मत्स्यन यानों द्वारा सभी मौसमों में दिन-रात को समुद्री मछली का अवतरण किया जाता है. सी एम एफ आर आइ द्वारा विकसित वैज्ञानिक प्रतिमान योजना, स्ट्राटिफाइड मल्टी-स्टेज रान्डम साम्प्लिंग डिज़ाइन के उपयोग से मछलियों की प्रजातिवार पकड़, मत्स्यन प्रयास, मत्स्यन यानों तथा जालों पर विवरण और इससे जुड़ी हुई अन्य सूचनाएं संग्रहित की जाती हैं और हर महीने में छोटे गैर-अतिव्यापी भौगोलिक क्षेत्रों, जो पूरे तट की मत्स्यन मेखलाओं के रूप में संदर्भिमत है, के मछली अवतरण और मत्स्यन प्रयास के आकलन के लिए उपयोग किया जाता है. इस तरह जगायी गयी सूचना सी एम एफ आर आइ के राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी संपदा आंकड़ा केन्द्र (एन एम एफ डी सी) में संभरित किया जाता है.
एन एम एफ डी सी – उपलब्ध पकड़ प्रयास आंकड़ा रिपोसिटरी संरचना
स्थान | समय | बेड़ा | स्रोत |
राष्ट्रीय क्षेत्र क्षेत्र(4) राज्य (9+2 सं.रा.क्षे.) जिला (33) मत्स्यन मेखला (75) |
वार्षिक तिमाही (4)
माहिक माहिक(12) |
सेक्टर (3) गिअर | नस्ल वर्ग वर्ग (4) क्लास क्रम ग्रुप (83) कुटुम्ब प्रजाति वंश |
उपयोग किए गए शब्दों का अर्थ: एन एम एफ डी सी में समुद्री मछली अवतरण पर उपलब्ध आंकड़े का सारांश
Meaning of terms used: | |
राष्ट्रीय | लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को छोडकर मुख्य भूमि के पूरे तट |
क्षेत्र | मुख्य भूमि के पूरे तट को चार क्षेत्रों, जो कि उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. |
राज्य | पूरे तट को नौ तटीय राज्यों के रूप में विभाजित किया जाता है, ये हैं पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र महाराष्ट्र और गुजरात. |
संघ राज्य क्षेत्र | तटरेखा पर स्थित केन्द्र सरकार के अधीनस्थ संघ राज्य क्षेत्र हैं पुदुचेरी, दमन एवं दियु. |
जिला | तटीय राज्यों के तटीय क्षेत्र के अलग अलग सब-डिविशन्स |
मत्स्यन मेखला | ये हैं तटीय जिलों के गैर-अतिव्यापी अनन्य सब-डिविशन्स. |
सेक्टर | मात्स्यिकी को तीन सेक्टरों जो कि यंत्रीकृत, मोटोरीकृत और नोन-मोटोरीकृत के रूप में विभाजित किया जाता है. |
जाल | इसके अंदर समुद्र से मछली पकड़ के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न यानों / जालों के संयोग का उल्लेख किया जाता है. यंत्रीकृत सेक्टर में यंत्रीकृत आनायजाल, यंत्रीकृत गिलजाल, यंत्रीकृत कांटा डोर आदि प्रमुख जाल हैं और आउटबोर्ड गिलजाल, आउटबोर्ड वलय संपाश, आउटबोर्ड कांटा डोर आदि मोटोरीकृत सेक्टर के प्रमुख जाल हैं. |
वर्ग | वेलापवर्ती, तलमज्जी, क्रस्टेशियन और मोलस्क प्रमुख चार वर्ग हैं. |
ग्रुप | अवतरण की गयी प्रजातियों को मात्स्यिकी में उनकी प्रमुखता और वाणिज्यिक प्रमुखता को मानते हुए सारणीबद्ध रूप में प्रस्तुति हेतु 83 संपदा ग्रुपों में उल्लेखित किया जाता है. |